Thursday, May 27, 2010

SHALINIAGAM (SHUBH AAROGYAM) WORLD HEALING


HELLO FRIENDS

I AM GOING TO TELL YOU ABOUT BENEFITS OF SPIRITUAL THERAPY
WE CAN HEAL ALL OVER THE WORLD THROUGH REIKI
FOR PEACE,LOVE HEATH & PROGRESS

Benefits of Reiki
distant healing benefitsReiki can enhance all aspects of life. To help you heal physically, emotionally, mentally or spritually, Reiki induces sublte transformation and holistic health and wellness.

<span class=reiki relax First, Reiki brings on deep relaxation. Then, as stress is removed, Reiki helps you relieve heal.

<span class=reiki relaxation Emotionally & mentally, Reiki helps you sort through issues, while bringing spiritual clarity and evolvement.

holistic healingPhysically, as complementary holistic health treatment, Reiki can help you to

angel therapySometimes, loved ones, who have passed over to the other side, wish to support the healing of clients and come through during treatment.

spiritual healingFeel free to discuss your feelings and wishes for spiritual information. Reiki can work in ways that fit you!

A Global Vision
We would like to build a vast web of energy workers dedicated to healing in concert. As more and more people participate in personal and Global healing practices, Reiki will become ever more important in helping solve the world's problems and bringing balance, peace and love to the earth.

DR. SHALINIAGAM
www.aarogyamreiki.com


Tuesday, May 25, 2010

Surya Namaskara means salutations to Lord Surya(The Sun), the giver of energy to the world,for self vitalization. Surya Namaskar is a combination of few Yogasana postures.Surya Namaskar is useful in achieving concentration.It is a wonderful regular routine of exercise, prayer and worship given in the scriptures.Surya Namaskara must be performed before the sunrise. Stand facing the east at dawn and recite the mantras to pray Lord Surya and offer sandals, flowers, rice grains with water or simply offer water and perform Surya Namaskara.There are 12 mantras which are different names of Sun God. With each posture, a particular mantra is chanted. Surya Namaskar Mantras are :

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Surya Namaskara means salutations to Lord Surya(The Sun), the giver of energy to the world,for self vitalization. Surya Namaskar is a combination of few Yogasana postures.Surya Namaskar is useful in achieving concentration.It is a wonderful regular routine of exercise, prayer and worship given in the scriptures.Surya Namaskara must be performed before the sunrise. Stand facing the east at dawn and recite the mantras to pray Lord Surya and offer sandals, flowers, rice grains with water or simply offer water and perform Surya Namaskara.There are 12 mantras which are different names of Sun God. With each posture, a particular mantra is chanted. Surya Namaskar Mantras are :

Surya <span class=DR. SHALINIAGAM

www.aarogyamreiki.com

25 may 2010

Sunday, May 23, 2010

शालिनीअगम (ध्यान है एक नृत्य )कुछ शब्द मेरे अपने

शालिनीअगम (ध्यान है एक नृत्य )कुछ शब्द मेरे अपने

नमस्ते भारतवर्ष
आजकल के तनाव-ग्रस्त वातावरण में मानसिक रोगी हो जाना कोई विस्मय की बात नहीं है.रोजाना के दैनिक क्रिया-कलापों में न जाने कितने दबाब हम-सब झेलतें हैं। जिसके कारण कुंठा,आवेश,झुंझलाहट ,क्रोध बढता जाता है,और न कितने कमजोर इच्छा-शक्ति वाले व्यक्ति जीवन को भर समझ वहन करतें चलतें हैं। इस दबाब को कैसे शिथिल किया जाय , इन तनावों से कैसे छुटकारा पाया जाय ----उत्तर केवल एक है
ध्यान'।
ध्यानपूर्ण -क्षणों में जाना होगा
२४ घंटों में से यदि कोई केवल एक घंटा ध्यान करे,तो मानसिक रोगी तो कभी नहीं होगा। उस एक घंटे के लिए व्यक्ति की चेतना में न कोई स्मृति ,न कोई कल्पना,न कोई विषय -सामग्री,न कोई विचार।फलस्वरूप उसे नै ताजगी,नयी उर्जा, नया आनंद मिलेगा। और इसके लिए प्रथम और सरल उपाय है ......नृत्य और संगीत में रुचि जगाना।
जीवन एक गीत है जिसे गाना है,एक नृत्य है जिसे नाचना है।
नृत्य नर्तक के साथ -साथ पलता-बढ़ता है,उसी के साथ जीता और मरता है। नृत्य करते-करते नर्तक न जाने कंहा लुप्तप्राय : हो जाता है , दृश्य रहता है तो केवल नृत्य । पौराणिक काल से लेकर अब तक नृत्य को ध्यानपूर्ण मुद्रा माना गया है
इसे करतें है मेरे अगले ब्लॉग का इन्तजार कीजिये
डॉ शालिनीअगम

shaliniagam (dhyan hai ek nrity)kuch shabd mere apne

नमस्ते भारतवर्ष











आजकल
शालिनीअगम (ध्यान है एक नृत्य )कुछ शब्द मेरे अपने ०५/२३/१०
शालिनीअगम (ध्यान है एक नृत्य )कुछ शब्द मेरे अपने नमस्ते भारतवर्ष [Image]आजकाल के तनाव-ग्रस्त वातावरण में मानसिक रोगी हो जाना कोई विस्मय की बात नहीं है.रोजाना के दैनिक क्रिया-कलापों में न जाने कितने दबाब हम-सब झेलतें हैं। जिसके कारण कुंठा,आवेश,झुंझलाहट ,क्रोध बढता जाता है,और न कितने कमजोर इच्छा-शक्ति वाले व्यक्ति जीवन को भर समझ वहन करतें चलतें हैं। इस दबाब को कैसे शिथिल किया जाय , इन तनावों से कैसे छुटकारा पाया जाय ----उत्तर केवल एक हैध्यान'।ध्यानपूर्ण -क्षणों में जाना होगा २४ घंटों में से यदि कोई केवल एक घंटा ध्यान करे,तो मानसिक रोगी तो कभी नहीं होगा। उस एक घंटे के लिए व्यक्ति की चेतना में न कोई स्मृति ,न कोई कल्पना,न कोई विषय -सामग्री,न कोई विचार।फलस्वरूप उसे नै ताजगी,नयी उर्जा, नया आनंद मिलेगा। और इसके लिए प्रथम और सरल उपाय है ......नृत्य और संगीत में रुचि जगाना।जीवन एक गीत है जिसे गाना है,एक नृत्य है जिसे नाचना है। नृत्य नर्तक के साथ -साथ पलता-बढ़ता है,उसी के साथ जीता और मरता है। नृत्य करते-करते नर्तक न जाने कंहा लुप्तप्राय : हो जाता है , दृश्य रहता है तो केवल न्रिते। पौराणिक कल से लेकर अबन्रिते को ध्यानपूर्ण मुद्रा मना गया है इसे करतें है मेरे अगले ब्लॉग का इन्तजार ..कीजिये डॉ शालिनीअगम






























आजकल

शालिनीअगम (ध्यान है एक नृत्य )कुछ शब्द मेरे अपने



नमस्ते भारतवर्ष

meditation is parting in your innerself


व्यक्ति अपना रोष,अपना दुख,अपनी प्रसन्नता ,सभी कुछ संगीत के लय ताल द्वारा प्रकट कर तनाव रहित हो सकता है.



शंकर , मीरा,कबीर,चैतन्य महाप्रभु ,कृष्ण की बांसुरी की लय प़र सुध-बुद्ध खोती गोपियों का नर्तन, सूफी-संत आदि नृत्य द्वारा ध्यान में समाये रहते थे । नृत्य व् संगीत द्वारा व्यक्ति का तन-मन , सुध-बुद्ध खोकर आनंदित होकर झूमने लगता है तब सृष्टि भी अपने साथ नृत्य करती, झंकृत होती मालूम पड़ती है।


ओशो ने भी कहा है कि जब हम नृत्य में खो जातें हैं तब हम अपने अस्तित्व को भूल जातें हैं ....दिखाई देता है तो केवल नृत्य और उससे उपजता आनंद .........'नृत्य ही तुम्हारा परमात्मा तक जाने का रास्ता है '........और फिर हर ओर एक नई ताजगी, एक नई दिव्यता का अहसास होने लगता है।

तो उठो मेरे भारतवर्ष संगीत को अपनाओ हर उत्सव को नाच-गा कर और भी अधिक आनंद-दायक बना लो ,अरे रे रे ....शर्माना कैसा और किससे ,नहीं तो बंद कमरे से शुरुवात कैसी रहेगी ,मनपसंद लय-ताल चुनो फ़िल्मी संगीत चुनो,इंडियन क्लासिकल या पाश्चात्य संगीत चुनो ,प्ले का बटन दबाओ और शुरू हो जाओ .
meditation revive your cells which starts danc
MEDITATION MAKES YOU ACTIVE SO START DANCING
SO MY DEAR INDIA,'THE RESULT OF SIMPLE PROCESS OF FUN WITH DANCING IS OUT STANDING.........IT SYNCHRONISES THE POSITIVE & NNEGATIVE ENERGY INSIDE THE BODY......... THE MAN AND WOMAN ' THE YIN AND YANG', LIFE AND DEATH
CHEERSSSSSSS
DR. SHALINIAGAM
2010


शालिनीअगम (ध्यान है एक नृत्य )कुछ शब्द मेरे अपने

नमस्ते भारतवर्ष
आजकाल के तनाव-ग्रस्त वातावरण में मानसिक रोगी हो जाना कोई विस्मय की बात नहीं है.रोजाना के दैनिक क्रिया-कलापों में न जाने कितने दबाब हम-सब झेलतें हैं। जिसके कारण कुंठा,आवेश,झुंझलाहट ,क्रोध बढता जाता है,और न कितने कमजोर इच्छा-शक्ति वाले व्यक्ति जीवन को भर समझ वहन करतें चलतें हैं। इस दबाब को कैसे शिथिल किया जाय , इन तनावों से कैसे छुटकारा पाया जाय ----उत्तर केवल एक है
ध्यान'।
ध्यानपूर्ण -क्षणों में जाना होगा
२४ घंटों में से यदि कोई केवल एक घंटा ध्यान करे,तो मानसिक रोगी तो कभी नहीं होगा। उस एक घंटे के लिए व्यक्ति की चेतना में न कोई स्मृति ,न कोई कल्पना,न कोई विषय -सामग्री,न कोई विचार।फलस्वरूप उसे नै ताजगी,नयी उर्जा, नया आनंद मिलेगा। और इसके लिए प्रथम और सरल उपाय है ......नृत्य और संगीत में रुचि जगाना।
जीवन एक गीत है जिसे गाना है,एक नृत्य है जिसे नाचना है।
नृत्य नर्तक के साथ -साथ पलता-बढ़ता है,उसी के साथ जीता और मरता है। नृत्य करते-करते नर्तक न जाने कंहा लुप्तप्राय : हो जाता है , दृश्य रहता है तो केवल न्रिते। पौराणिक काल  से लेकर अब तक नृत्य  को ध्यानपूर्ण मुद्रा मना गया है
इसे करतें है मेरे अगले ब्लॉग का इन्तजार कीजिये
डॉ शालिनी अगम
2010

Sunday, May 16, 2010

शालिनीअगम {सूर्य ध्यान द्वारा रोग निवारण कैसे करें}

सूर्य - किरण ध्यान

वेदों में कहा गया है कि "उदित होता हुआ सूर्य मृत्यु के सभी कारणों अथार्त सभी रोगों को नष्ट करता है." प्रात:-काल सूर्योदय के समय पूर्वाभिमुख होकर संध्योपासना और हवन करने का यही रहस्य है कि ऐसा करने से सूर्य कि अवरक्त {infrared} किरणे सीधे छाती प़र पड़तीं हैं उनके प्रभाव से व्यक्ति सदैव निरोगी रहतें हैं




सूर्य -किरण- ध्यान-विधि

प्रातः -काल में

शांत-मन होकर आराम से बैठ जाइये.अपना सारा ध्यान सूर्य कि विशालता और व्यापकता प़र लगा देंजीवन-शक्ति से भरपूर सूर्य से संबंद स्थापित करने का प्रयास करेंनीले आकाश के नीचे चमकती सूर्य-किरणों कि उर्जा को आत्मसात करने का सतत प्रयास करें और अपने आन्तरिक अस्तित्व को इस विशालता के साथ मिलकर उसका विस्तार करें..................प्रार्थना करें"हे सूर्य ! मैं तुम्हारी ओजस्विता,तुम्हारी इस विशाल उर्जा को प्रणाम करता हूँ .मेरे शारीर के त्रिदोष समाप्त कीजिए व् उन्हें संतुलित कीजिए,मुझे अपने समान तेजवान बनाईए .साहसी,निर्भय व् रोगमुक्त बनाईए .हे सूर्य देव!,जीवन शक्ति-देने वाले आपकी शक्ति को प्रणाम ,मुझे निरोगी होने का आशीर्वाद दीजिये ........................

SHALINIAGAM {CURE YOURSELF}


CURE YOURSELF

symptoms of spiritual awakening
1. Changing sleep patterns: ~ Restlessness, hot feet, waking up two or three times a night. ~ Feeling tired after you wake up and sleepy during the day. ~ You can get by on less sleepAdvice: Make peace with it and don't worry about getting enough sleep. You will be able to make it through the day if you hold thoughts of getting just what you need. If you can't go back to sleep right away, use the waking moments to meditate, read poetry, write in your journal or look at the moon. Your body will adjust to the new pattern.2. Activity at the crown of the head:~ Tingling, itching, prickly, crawling sensations along the scalp and/or down the spine. ~ A sense of energy vibrating on top of the head, as if energy is erupting from the head in a shower. Advice: What you are experiencing is an opening of the crown chakra. 3. Sudden waves of emotion.~ Crying at the drop of a hat. ~ Feeling suddenly angry or sad with little provocation. Or inexplicably depressed. Advice: Go directly to your heart chakra and feel the emotion. Expand it outward to all your fields and breathe deeply from the belly all the way up to your upper chest. Just feel the feeling and let it evaporate on its own.4. Changes in eating habits:~ Strange cravings and odd food choices. ~ An increase or decrease in appetite.~ Allergies you never hadAdvice: Don't deny what your body tells you it needs. Also try blessing the food.
5a. Sight: ~ Blurry vision, shimmering objects, seeing glittery particles.~ Seeing auras around people, plants, animals, and objects. ~ Seeing redness when your eyes are closed instead of the dark. ~ Seeing geometric shapes or brilliant colors and pictures when eyes are closed. ~ When your eyes are open or closed, you may see white shapes in your peripheral vision (these are your guides).Advice: Your vision is changing in many ways -- you are experiencing new ways of seeing.5b. Hearing: ~ Increased or decreased hearing.~ Audio dyslexia-- you can't always make out what people are saying, as if you can no longer translate your own language.~ Hearing strange voices in your dreams. ~ Hearing white noise in the head, beeps, tones, music or electronic patternsAdvice: Listen. Your ears are adjusting to new frequencies.5c. Enhanced senses of smell, touch, and/or taste. ~ Smell the fragrance of flowers now and then. ~ Can smell and taste chemical additives in some foods.6. Skin eruptions: ~ Rashes, bumps, acne, hives, and shingles. Advice: You may be sloughing off toxinsand bringing emotions to the surface. When there is an issue to be released and you are trying to repress it, your skin will express the issue for you until you process the emotions. 7. Power surges: ~ All of a sudden you are heated from head to toe. It is a momentary sensation, but uncomfortable. ~ Feeling inexplicably cold. ~ If you are an energy worker, you may have noticed that the heat running through your hands has increased tremendously. This is goodAdvice: If you are uncomfortable, ask your Higher Power, that if it be for your best and highest good, to turn down/up the temperature a bit.8. A range of physical manifestations: ~ Headaches, backaches, neck pains, flu-like symptoms. This is called ‘Vibrational Flu’.~ Digestive problems, muscular spasms or cramps, racing heartbeat, chest pains.~ Changes in sexual desire, numbness or pain in the limbs, and involuntary vocalizations or bodily movements. ~ Old conditions from childhood reappear briefly for healing.Advice: Seek medical help if you need it! If you have determined that this is not a medical condition, relax in the realisation that it is only temporary9. Looking younger: As you clear emotional issues and release limiting beliefs and heavy baggage fromthe past, you are actually lighter.10. Vivid dreams: ~ Dreams are so real that you wake up confused. ~ Dreams may be mystical or carry messages for you. ~ In some dreams, you just know that you are not "dreaming" -- that what ishappening is somehow real. Advice: You will remember what is important for you to remember. Don't force anything. Above all, stay out of fear. 11. A desire to break free from restrictive patterns:~ Life-draining jobs consumptive lifestyles, and toxic people or situations. ~ Feel a compelling need to "find yourself" and your life ~ Want to be creative and free to be who you really are. You might find yourself drawn to the arts and nature. ~ You want to un-clutter yourself from things and people that no longer serve you. Advice: Do it!12. Creativity bursts: ~ Receiving images, ideas, music, and other creative inspirations at an often overwhelming rate.Advice: Record these inspirations, for Spirit is speaking to you about how you might fulfill your purpose and contribute to the healing of the planet.13. Impatience: ~ You know better, but sometimes you can't help it. You want to get on with what seems to be coming your way. Uncertainty is not comfortable.Advice: Learn to live with the uncertainty, knowing that nothing comes to you until you are ready. Impatience is really a lack of trust, especially trust in your Higher Power. 14. "Teachers" appear everywhere with perfect timing to help you on your spiritual journey:~ people, books, movies, events, Mother Nature, etc.Advice: Teachers may appear to be negative or positive when you are trapped in polarity thinking, but, from a transcendent perspective, they are always perfect. Just what you need to learn from and move on. Each challenge presents us with an opportunity to show our mastery in passing through it.

Aarogyam
the spiritual reiki healing & training center
www.aarogyamreiki.com

Thursday, May 13, 2010

शालिनिअगम (पञ्च तत्वों से प्रार्थना द्वारा रोग मुक्ति)


नमस्ते भारतवर्ष
पंचतत्वों से बना ये शरीर उन्ही की प्रार्थना से कैसे ठीक हो सकता है आइये जाने
वात-पित्त- कफ के असंतुलन से ही अनेक बीमारियाँ पनपतीं हैं .वायु से सम्बंधित रोग होने प़र खुले स्थान प़र बैठकर ध्यान लगाइए और प्रार्थना करें :"हे आकाश!हे वायु!मैं तुम्हारी विशालता को प्रणाम करता हूँ .कृपया मुझ
प़र दया कीजिये मेरे शरीर में वात को संतुलित रखिये तुम दोनों से उत्पन्न वात मेरे शरीर में ठीक से कार्य करे .तुम दोनों सर्व-व्यापी हो तथा सबको पौष्टिकता प्रदान करने वाले हो ,कृपया मेरे शरीर के वात से मेरे सभी अंगों को पोषण दें .में तुम्हारी शक्ति को नमन करती हूँ ।"
पित्त कि चिकित्सा के लिए सूर्य अथवा अग्नि को संबोधित करें :"हे जीवन देने वाले,हे इस धरती के प्राण !तुम्ही मेरे शरीर को शक्ति और उर्जा देते हो। मैं प्रार्थना करती हूँ कि मुझे दूषित कफ से जनित रोगों से बचाओ.मेरे अंदर की अग्नि को नियंत्रित करें मुझे आशीर्वाद दें ,मेरी बुद्धि तीव्र हो । मुझे समरसता,संतुलन व् स्वास्थ्य प्रदान करें॥"
कफ सम्बन्धी रोगों से मुक्ति पाने के लिए पृथ्वी व् जल का आभार व्यक्त करें :"हे पृथ्वी माता!तुम हमें अन्न-जल प्रदान करती हो ,तुम्हारी मिटटी में ही बीज पोषित होतें है , मुझे सहनशीलता प्रदान करें ,मुझे शक्ति प्रदान करें।"
प्रार्थना से ही हम अपना तथा दूसरों का भी स्वास्थ्य अच्छा कर सकतें हैं ।
डॉ.शालिनिअगम

Wednesday, May 12, 2010

Shaliniagam (Shubh Aarogyam)


रेकी सूत्र
रेकी के सूत्र में पिरो देने के बाद,
आज हैं रेकी चैनल , दुखों से विलग,
उपचार करें स्वम का ,अपने परिवार का
खुश रहें और बांटें ,सब ओर खुशियाँ
क्यों मुंह छिपा कर रोयें ,दुखी होवें हम
सारी दुनियां के गम और दुखों को समेटें हम ,
आओ अब तोड़ दें ,उदासी की लड़ियाँ
क्योंकि नाचने,गाने,हर्षोल्लास की आई घड़ियाँ ."
शालिनीअगम
2007

    • bahoot hi sunder dikh rahi hain 
      aap us pic main, aisa lag raha tha 

      jaise ki, khetoon main sarsoon 
      lagi hoo, or bole to, surajmuckhi 

      khila ho...

SHALINIAGAM (TIP OF THE DAY) JUST FEEEL IT



MAGIC MANTRA
In the infinity of life where I am, all is perfect, whole and complete..My life is ever new..Each moment of my life is new and fresh and vital. I use my affirmative thinking to create exactly what I want. This is a new day.. It is a joy and a delight to plant new seeds for I know these new seeds will become new experiences...All is well in my world..
"Open, intimate and authentic. A masterpiece of self-healing."


As you begin to get still and listen to your inner soul’s yearning, you will discover a world of untold merit. You will literally be stunned by the accuracy of the things you know without knowing how you know them. You must trust your gut, however without reservation. [The more ridiculous, the more profound.] It is the sole intent of your inner compass to provide an avenue of immaculate perception, where you no longer ‘take for granted’ the exquisite beauty found within the mundane, dull, and seemingly lifeless artifacts peppering your world. Everything matters. Nothing is to be excluded. Those seemingly insignificant incidences hold a storehouse of untold treasure.
God bless u........
shaliniagam

Tuesday, May 11, 2010

कुछ शब्द मेरे अपने ( जाने अपने मन का विज्ञानं)

यह बहुत ही ध्यान देने वाली और आश्चर्य जनक बात है कि हमारी 50% बीमारियों के कारण पूर्णतया मनोवैज्ञानिक होतें हैं.प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारे रोगों की वजह हमारे बीमार -विचार हीं हैं.जब हम अपने मन के विज्ञानं को जानने कि चेष्टा करतें है ,अपने आहार-विहार प़र ध्यान देतें हैं,मानसिक क्लेशों का कारण जानने की कोशिश करतें हैं तो स्वत: ही हमें अपनी बीमारी की वजह समझ आने लगती है.तब हमें ज्ञात होता है कि रोगों की जड़े तो हमारे मनोवेगों में हैं ।
मेडिकल साइंस में शायद इस बात का जिक्र नहीं है कि हम अपने विचारों और दिमाग को शारीर से अलग नहीं कर सकतें है । नई खोज तो यंहा तक बताती है कि जींस भी विचारों से बदलने की क्षमता रखतें हैं .अगर हम गौर करें तो पाएंगे कि संकल्प की शक्ति ही हमें अनेक बीमारीओं से दूर ले जा सकती है .कहा भी गया है 'मन के हारे हार है-मन के जीते जीत ' ।
जब हम हँसतें हैं ,और प्रसन्न रहतें हैं तब शरीर का हर एक अंग हमारे साथ हँसता है और जीवन -वृद्धि का सन्देश हमारी कोशिकाओं तक पहुंचता है । वैज्ञानिक सिद्ध कर चुकें हैं कि एक प्रसन्न-चित्त व्यक्ति में neuropeptide hormon अलग होतें हैं जो स्फूर्ति से भरे अंग-प्रत्यंग,चमकदार सुन्दर त्वचा ,स्वस्थ शरीर प्रदान करतें हैं इसके ठीक विपरीत जो व्यक्ति क्रोधित,उदास और निराशा से भरें रहतें है उन्हें मिलता है समय से पहले बुढ़ापा ,बीमारियाँ और रोगी काया. neuropeptide hormon ही ऐसा हारमोन है जो पूरे शारीर में संचरित होते हुए हर कोशिका को मस्तिष्क से सम्बंधित करता है । बोध और चेतना अंतत:कोशिकाओं कि झिल्ली प़र स्तिथ होतीं हैं ।
औषधि-शास्त्र,दवा आदमी की ऊपरकी बीमारियों पकड़ता है प़र प्रसन्नता और सकारत्मक सोच का शास्त्र आदमी को भीतर से पकड़ता है।
डॉ.शालिनीअगम
2010

Saturday, May 1, 2010

कुछ शब्द मेरे अपने (अपने शारीर के साथ प्रेम सम्बन्ध)

नमस्ते इंडिया ,
आज मैं आपको कहती हूँ ,अपने शरीर के सभी अंगों से आत्मीय व्यवहार अपनाएं,जिस अंग में परेशानी है ,उसे प्यार से सहलाएं ।
जैसे आपके घुटने में दर्द है ,उससे दोस्ती करें ..कैसे?
उसे प्यार से हाथ फेरें बात करें,"हे मेरे प्रिय घुटने मैंने तुम्हारे स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रक्खा ,जिस कारण तुम परेशान हो ।मुझे अपनी परेशानी का कारण बताओ। मुझे तुम्हारी ज़रुरत है ,बस तुम ज़ल्दी से ठीक हो जाओ "। तब लगेगा कि घुटना भी आपसे बातें करने लगा है ।उससे सम्बन्ध विकसित होने प़र आप पाओगे कि आपकी अवहेलना के कारण ,घंटों बिना विश्राम किये और उचित पौष्टिक आहार न लेने के कारण,हर पल दुखी और चिंता ओढने की आदत होने से ही ये समस्या हुई । तब आप जानोगे कि अपने शरीर के अंगों से प्यार जताने प़र उन्हें भी ख़ुशी मिलती है ,नयी ऊर्जा मिलती है जीने की । परिणाम दर्द गायब ...उनके प्रति संवेदनशीलता ,प्रेम व् सहानुभूति रखने के कारण ही हम स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने में सक्षम हो सकतें हैं ।
डॉ.शालिनीअगम
2010